Wednesday 6 December 2017

मेरा पहला पहला प्यार है ये....

मेरा पहला पहला प्यार है ये....



साँवली सी रात हो, खामोशी का साथ हो
अनकही सी गुफ़्तगू, अनसुनी सी जुस्तजू
बिन कहे, बिन सुने बात हो तेरी- मेरी....

ये अल्फ़ाज़ सुनकर आँखें नम कर लेता हूँ
चारदीवारी में खुद को बंद कर लेता हूँ
अकेले बैठे- बैठे यादों में खो जाता हूँ
कहते हैं पहले प्यार का अलग नशा होता है
दूर भी नहीं जा सकते, भुला भी नहीं सकते

लेकिन मेरा पहला प्यार मेरे लिए ज़िन्दगी से बढ़कर था

आज भी याद है वो शाम
जब आखिरी बार तुमसे मिला था
मिलकर रोते- रोते गले लगाया था
वादा करा था तुमने कि मिलने आओगी
भूले बिसरे कभी दरवाज़ा खटखटाओगी
लेकिन पलकें बिछाए इंतज़ार में
रास्ते की तरह देखता रह गया मैं

अब आलम यह है कि
गीले कागज़ की तरह हो गई है ज़िन्दगी
कोई लिखता भी नहीं, कोई जलाता भी नहीं
कोई सताता भी नहीं, कोई मनाता भी नहीं

जी करता है सब छोड़कर तुम्हारे पास आ जाऊँ
और तुमसे लिपट कर ढेर सारा प्यार करूँ
लेकिन तुम बहुत दूर चली गईं माँ
जाते- जाते दुनिया के लिए जीना सिखा गई
लेकिन तेरे बिना जीना ना सीख पाया माँ


अब तो बस
एक आखिरी बार
तरसता हूँ तुम्हारी गोद में सोने के लिए
तुम्हारे हाथों से खाना खाने के लिए


माँ
तुमसे ही प्यार करना है
तुमसे ही दिल लगाना है
तुम्हारे प्यार का ये दिल
दीवाना था, दीवाना है
तुमसे ही प्यार करना है।

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