Thursday 7 June 2018

कुंडी मत खड़काओ राजा, सीधा अंदर आओ राजा



















गीतकार की कल्पना को समझें
कितनी मासूमियत के साथ
वह न्योता दे रहे हैं
कि आप चाहे

घर के बिछड़े  सदस्य की तरह
बिन बुलाए मेहमान की तरह
हर वक़्त परेशान करते पड़ोसी की तरह
भरी दोपहरी में सोने के समय,
घंटी बजाकर भाग जाने वाले बच्चे की तरह
या फिर
आधी रात को ‘पार्टी’ से लौटे बेटे की तरह

घर में प्रवेश कर जाएँ
आपके लिए ठंडा ठंडा निम्बू पानी, बियर सहित
‘वाई फाई’ का पासवर्ड
आपके दूरभाष यंत्र का चार्जर
सब तैयार मिलेगा

बस एक विनती है आपसे
कुंडी मत खड़काइएगा
दिन में बच्चे
रात में बेगम के खुर्राटे
कभी सोने नहीं देते
इसलिए जब मौका मिलता है
झपकी ले लेता हूँ

सपनों की जोशीली दुनिया में
मैं भी किसी का राजा बनकर
थोडा बहुत ‘परफ्यूम’ लगाकर
मूड बना लेता हूँ ताज़ा ताज़ा

और इसीलिए आपको भी राय देता हूँ
कि
कुंडी मत खड़काओ राजा
सीधा अंदर आओ राजा|

(बाकि समझदार को इशारा काफ़ी)


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